कालरात्रि हवेली का रहस्य (अंतिम भाग) 🏚️👻


अब तक आपने पढ़ा: खोजी पत्रकार रवि कालरात्रि हवेली के रहस्य को सुलझाने के लिए अंदर जाता है। वहाँ उसे रहस्यमयी छायाएँ, भूतिया घटनाएँ और एक गुप्त संदूक मिलता है। संदूक से निकली आत्मा ने उसे हवेली के शापित इतिहास के बारे में बताया। अब रवि को इस श्राप को तोड़ना होगा

मंत्र और आत्मा की तड़प

रवि कांपते हाथों से पुरानी पांडुलिपि खोलता है। उसमें लिखा था:
"जो सत्य को स्वीकारे, वही मुक्ति पाए। जो लालच करे, वही फँस जाए!"

रवि ने संस्कार मंत्र पढ़ना शुरू किया। हवेली के अंदर अजीब सी ऊर्जा लहराने लगी। मोमबत्तियाँ खुद-ब-खुद बुझ गईं और हवेली हिलने लगी!


आत्मा ने दर्द से कराहते हुए कहा,
"मत कर... यह हवेली मुझे जिंदा निगल चुकी है, अब तुझे भी छोड़ने वाली नहीं!"

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हवेली का असली भूत

रवि ने जैसे ही मंत्र पूरा किया, हवेली की छत से एक और भूतिया आकृति प्रकट हुई! यह आत्मा हवेली के असली रक्षक की थी, जो राजा वीरसिंह का विश्वासपात्र सेनापति था।

"रवि, यह आत्मा निर्दोष नहीं! राजा वीरसिंह ने मुझे ही धोखा दिया था! इसे मुक्ति मत दो!"

रवि के सामने दो सच थे –
1️⃣ अगर वह राजा वीरसिंह की आत्मा को मुक्त करता है, तो हवेली का श्राप खत्म हो जाएगा।
2️⃣ लेकिन अगर सेनापति सही था, तो राजा वीरसिंह असली गुनहगार था!

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अब क्या करे रवि?

श्राप टूटता है या नई मुसीबत?

रवि ने निर्णय लिया – "मैं सच्चाई को सामने लाऊँगा!"

उसने हवेली की दीवारों पर लिखे पुराने शिलालेखों को देखा और सच सामने आया –

 👉 राजा वीरसिंह ने अपने सेनापति को धोखा दिया था!
👉 सेनापति की आत्मा न्याय चाहती थी!

रवि ने सेनापति की आत्मा को मुक्त किया, और राजा वीरसिंह की आत्मा गुस्से से चिल्लाई –
"तूने मेरे साथ विश्वासघात किया!"

तभी हवेली की नींव हिलने लगी, छत गिरने लगी, और दीवारों से भयानक चीखें आने लगीं!

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कालरात्रि हवेली का अंत?

रवि जैसे-तैसे बाहर भागा। पीछे मुड़कर देखा तो पूरी हवेली धुएँ में बदल रही थी। राजा वीरसिंह की आत्मा हमेशा के लिए अंधकार में लुप्त हो गई

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अगले दिन अखबार में ब्रेकिंग न्यूज़ छपी –


"कालरात्रि हवेली का रहस्य खत्म! श्रापित आत्माएँ मुक्त!"

लेकिन उसी रात, रवि के मोबाइल पर एक अनजान नंबर से मैसेज आया
"रवि... यह अंत नहीं, यह तो बस शुरुआत है!"

रवि के चेहरे से पसीना टपक पड़ा... क्या हवेली का श्राप वाकई खत्म हुआ था? या फिर कोई और राज बाकी था?


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