शहर से दूर एक पुरानी हवेली थी, जिसके बारे में कहा जाता था कि वहाँ रात होते ही अजीब घटनाएँ घटती थीं। कोई भी वहाँ रात बिताने की हिम्मत नहीं करता था। लेकिन एक खोजी पत्रकार, अर्जुन, ने इस रहस्य को सुलझाने की ठानी और वह अपने कैमरे के साथ उस हवेली में जाने का फैसला करता है।
हवेली का रहस्य
अर्जुन जब हवेली के पास पहुँचा, तो हवा में एक अजीब ठंडक महसूस हुई। दीवारों पर काई जमी थी, और दरवाजे अपने आप हिल रहे थे। जैसे ही उसने दरवाजा खोला, एक सर्द हवा का झोंका आया और अंदर की धूल उड़ गई। उसने कैमरा ऑन किया और अपने अनुभव को रिकॉर्ड करने लगा।
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अजीब घटनाएँ
जैसे ही अर्जुन अंदर गया, उसे फर्श पर पुराने खून के धब्बे दिखाई दिए। दीवारों पर कुछ अजीब निशान थे, जो किसी भाषा की तरह दिख रहे थे। अचानक, उसे लगा कि कोई उसके पीछे खड़ा है। उसने मुड़कर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था।
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परछाइयाँ और आवाजें
रात गहराते ही अर्जुन को हवेली में अजीब परछाइयाँ दिखने लगीं। उसे ऐसा लगा कि कोई उसके कान में फुसफुसा रहा है। अचानक, उसके कैमरे की स्क्रीन झिलमिलाने लगी और उसमें एक सफेद साया दिखाई दिया।
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छुपा हुआ तहखाना
अर्जुन ने तहकीकात जारी रखी और उसे हवेली में एक गुप्त दरवाजा मिला। जैसे ही उसने उसे खोला, एक सीढ़ी नीचे जा रही थी। वह हिम्मत करके नीचे उतरा और वहाँ जो देखा, उसे देख कर उसकी सांसें थम गईं – कंकालों का ढेर और दीवारों पर खून से लिखे शब्द: ‘यहाँ से भाग जाओ!’
हवेली का सच
अर्जुन को पता चला कि यह हवेली किसी राजा की थी, जिसने अपने नौकरों को बेरहमी से मार डाला था। उनके आत्माएँ यहाँ फंसी हुई थीं और किसी को भी जीने नहीं देती थीं। अर्जुन को तेज़ी से वहाँ से निकलना पड़ा।
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अंत:
अर्जुन ने यह कहानी दुनिया को बताने का फैसला किया, लेकिन उसके लौटने के कुछ ही दिनों बाद, वह रहस्यमयी परिस्थितियों में गायब हो गया। कहते हैं कि उसकी आवाज़ आज भी हवेली में गूँजती है ।
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